Mirror-Image Bacteria: हाल ही में दुनिया के टॉप वैज्ञानिकों ने एक बड़े खतरे की ओर इशारा किया है. ‘मिरर-इमेज’ बैक्टीरिया, जो लैब में सिंथेटिक रूप से बनाए जा रहे हैं, जीवन के लिए अनोखा खतरा पैदा कर सकते हैं.
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Mirror-Image Bacteria: हाल ही में दुनिया के टॉप वैज्ञानिकों ने एक बड़े खतरे की ओर इशारा किया है. ‘मिरर-इमेज’ बैक्टीरिया, जो लैब में सिंथेटिक रूप से बनाए जा रहे हैं, जीवन के लिए अनोखा खतरा पैदा कर सकते हैं. यह चेतावनी 'साइंस' जर्नल में पब्लिश एक पॉलिसी फोरम में दी गई है.
वैज्ञानिकों के अनुसार, ‘मिरर-इमेज’ बैक्टीरिया प्रकृति में पाए जाने वाले बायोलॉजिकल मॉलिक्यूल के उलटी बनावट के होते हैं. अगर ये बैक्टीरिया पर्यावरण में स्थापित हो जाते हैं, तो यह मानव, पशु और पौधों के इम्यून सिस्टम को दरकिनार कर सकते हैं. इससे घातक संक्रमण हो सकते हैं, जिनसे निपटना संभव नहीं होगा.
क्या है ‘मिरर-इमेज’ बैक्टीरिया?
प्रोटीन, डीएनए और आरएनए जैसे सभी बायोलॉजिकल मॉलिक्यूल एक अलग स्ट्रक्चर में होते हैं. ये ‘बाएं हाथ’ या ‘दाएं हाथ’ की तरह होते हैं. लेकिन वैज्ञानिक अब ऐसे बैक्टीरिया पर काम कर रहे हैं, जिनके मॉलिक्यूल इनसे उलटी दिशा में होते हैं. सिंथेटिक बायोलॉजिस्ट पहले ही मिरर-इमेज प्रोटीन और जेनेटिक मॉलिक्यूल्स का निर्माण कर चुके हैं. हालांकि, एक पूर्ण ‘मिरर-इमेज’ जीव का निर्माण अभी संभव नहीं है. लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि अगले एक दशक में ऐसा संभव हो सकता है.
क्या है खतरा?
पिट्सबर्ग यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर वॉन कूपर के अनुसार, मिरर-इमेज बैक्टीरिया इंसान, जानवर और पौधों के इम्यून सिस्टम से बच सकते हैं. इससे होने वाले संक्रमण घातक हो सकते हैं और इन्हें रोकना असंभव होगा. येल यूनिवर्सिटी के इम्यूनोलॉजिस्ट रुसलान मेधजितोव ने चेतावनी दी कि अगर ये बैक्टीरिया मिट्टी और धूल में फैल गए, तो यह पर्यावरण को स्थायी रूप से दूषित कर सकते हैं. उनका कहना है कि इसका असर इतना घातक हो सकता है कि यह धरती पर जीवन के लिए सबसे बड़ा संकट बन जाए.
वैज्ञानिकों की अपील
38 विशेषज्ञों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम, जिसमें नोबेल पुरस्कार विजेता जैक सोजस्टाक और ग्रेग विंटर भी शामिल हैं, ने मिरर-इमेज बैक्टीरिया के विकास पर पूरी तरह से रोक लगाने की मांग की है. इन वैज्ञानिकों ने कहा है कि जब तक यह साबित न हो जाए कि इन जीवों से किसी प्रकार का खतरा नहीं है, तब तक इस पर रिसर्च बंद किया जाना चाहिए. यूनिवर्सिटी ऑफ मिनेसोटा की वैज्ञानिक केट एडमाला, जो पहले इस पर काम कर रही थीं, ने इसे खतरनाक मानते हुए अपनी दिशा बदल ली. उन्होंने कहा कि हमें ‘मिरर-लाइफ’ बनाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए. यह समय है कि इस पर दुनिया भर में चर्चा शुरू की जाए.
क्या हो सकते हैं समाधान?
इंपीरियल कॉलेज लंदन के प्रोफेसर पॉल फ्रीमोंट ने इसे जिम्मेदार शोध का उदाहरण बताया. उनका मानना है कि इस तकनीक का इस्तेमाल केवल एक कंट्रोल और सुरक्षित तरीके से होना चाहिए. वैज्ञानिकों का कहना है कि शोधकर्ताओं और फंडिंग एजेंसियों को अब इस दिशा में कोई भी कदम उठाने से पहले इन खतरों पर गंभीरता से विचार करना चाहिए. जैसा कि सोजस्टाक ने कहा कि सबसे अच्छा यही होगा कि हम इस रास्ते पर जाएं ही नहीं.